Total Pageviews

Contributors

I blog at Blogadda!

The Book Club Member

The Book Club Blog Tours

Rate me at Blogadda!

Popular Posts

Rishikesh's bookshelf: currently-reading

Siddhartha
4 of 5 stars
tagged: currently-reading
Letters to a Young Poet
4 of 5 stars
tagged: currently-reading
Gitanjali
0 of 5 stars
tagged: currently-reading
Heart of Darkness
0 of 5 stars
tagged: currently-reading

goodreads.com
Flag Counter
Powered by Blogger.
Monday, 12 June 2017
Rubaroo by Priyanka Bansal

Publication- Ayan Prakashan
Format- Hardcover
Genre- Hindi Poetry




My Review

लेखिका ने समाज के हर वर्ग, हर समस्याओं को उठाया है| अपने मन से की व्यथा को बहुत  अच्छी तरह से दर्शाया| समाज का हर हिस्सा जिससे हैमारे समाज का निर्माण होता सबका खिंचा हैं जसे किन्नर, पिता, घर, फूटपाथ,  दादी, आत्मा अन्य सबकी नीयत बतायी हैं| 

हर जगह नारी को ममता बाताया गया है पर ' पीता' केवीता में एक पुरुूष कि मन केि व्यथा का बाड़ा हीी मार्मिक ढंग से चित्रण किया गया है।

'अब बोलती नहीँ दादी' कविता में घर में बुजुर्गों केि खाली जागह का एहसास करया गयाा है।

वहीं दूसरी ओर 'ना, नर मैंं नरी' जसी कविता के मध्यम से समाजमें किन्नर का भी एक महत्वपूर्ण सथान बताया है।

आत्मा जसी कविता के द्वारा बदलती हुई परिचय दिया है। 

फिर से बच्चे के द्वरा दिल की हालत के बारे में बताया है कि बचपन और दिल मे कितना सामंजस्य हैं।

फुटपाथ के माध्यम के द्वारा निर्धान वर्ग कि ओर ध्यान आकर्षित किया है।

आम इंसान के द्वारा इस भिड़ भरि दुनिया मे आम इंसान ने अपनी पहचान खो दिया है।

कवित्री अपनी कविताओं मैं जीवन के हर पहलू  की तरफ ध्यान दर्शने मै सफ़ल हुई है, कहीं पंक्तियों का क्रम टूटा नज़र आता है। इसके बावजूद पद्य गद्य सा प्रतीत हो रा है
लेकिन इसके बावजूद कवियो अंतर मन को छू जाती है और हमे सोचने पर विवश करती हैं।  आज समाज मैं जैसे अश्लीलता और फूहड़पन से बनी रचना करते हैं लेखन का सत्र गिरता जा रहा है वही लेखिका ने समाज को ही नही अपने लेखन के द्वाराा लेखों केो भी अच्छी प्रेरित किया है। अच्छी कोशीश करि हैं लेखन  कार्य जाारी रखे।



Reviewed by Aditi Srivastava

0 comments: